पढ़ाई लिखाई बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। माता-पिता की बच्चों से यही उम्मीद होती है कि वह अपनी पढ़ाई में बहुत अच्छा प्रदर्शन करें और मन लगाकर पढ़ाई करें। आज के समय में पढ़ाई लिखाई की इतनी महत्वता है कि आप बिना पढ़े-लिखे कुछ भी नहीं कर सकते। यदि आप अच्छे पढ़ाई किए हुए हैं तो आप अपने जीवन में बहुत कुछ अच्छा कर सकते हैं (Padhai me man na lagna) परंतु बच्चों की एक शिकायत रहती है कि उनके पढ़ाई में मन नहीं लगता।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको पढ़ाई में मन ना लगने पर क्या करना (Padhai me man lagane ke tarike) चाहिए उसके विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
पढ़ाई में मन कैसे लगाए?
पढ़ाई में बच्चों का मन इसलिए (Padhai me man kaise lagaye)नहीं लगता क्योंकि जब भी मैं पढ़ाई करने बैठते हैं तो उनके मन में अलग तरीके के विचार आने शुरू हो जाते हैं। वह दूसरी चीजों के विषय में सोचने लगते हैं। उनका मन अन्य चीजों की तरह भटकने लगता है जिसके कारण उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता। यदि जो भी विषय बच्चे पढ़ रहे हैं उसे विषय में बच्चे का मन नहीं लग रहा और बोर हो रहा है। तो कुछ ही समय के पश्चात वह अपनी कॉपी किताब में रख देता है और किसी अन्य काम में व्यस्त हो जाता हैं। परंतु पढ़ाई को आगे कंटिन्यू नहीं कर पाता।
जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता उन बच्चों के परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त नहीं होते जिसके कारण में पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं और समाज में भी बाकी लोगों से पीछे रहते हैं। पढ़ाई में मन लगाने का सबसे अच्छा तरीका है। समय सारणी बनाकर पढ़ाई करना यदि आप समय सारणी बनाकर पढ़ाई करते हैं तो आपको सभी विषय को पर्याप्त समय देने और कौन से विषय कब पढ़ते हैं। इसके विषय में जानकारी मिलेगी।
आप विभिन्न विषयों की तरफ अपना ध्यान लेकर जाएंगे तो आप बोर नहीं होंगे और आपका पढ़ाई में भी मन अच्छी तरीके से लगेगा। पढ़ाई में मन लगाने की दूसरे तरीके हैं आप अपने साथ पढ़ रहे हैं। अन्य बच्चों के साथ प्रतियोगिता कर सकते हैं। यदि आपके मन में दूसरों के साथ प्रतियोगिता का भाव है और उसमें जितने की इच्छा है तो वह आपको पढ़ने के लिए उत्साहित करता रहेगा।
पढ़ाई में मन ना लगने के कारण
पढ़ाई में मन ना लगने (Padhai me man na lagane ke reason)के क्या-क्या कारण हो सकते हैं और किन कारणों की वजह से बच्चा पढ़ाई को पूरा नहीं कर पाता। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।
1. छात्र का पढ़ाई में ध्यान ना देना :
पढ़ाई में मन ना लगने का एक सबसे महत्वपूर्ण कारण होता हैं। छात्रों का पढ़ाई की तरफ ध्यान ना देना जो बच्चे पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं देते उनके पढ़ाई में मन भी नहीं लगता और वह अच्छी तरीके से पढ़ाई नहीं कर पाते जो बच्चे पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं देते। ऐसे बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है कि उन्हें किसी स्कूल कॉलेज के टीचर या अपने माता-पिता के द्वारा मोटिवेशन प्राप्त हो।
पढ़ाई में यदि मन नहीं लग रहा है और किसी बाहरी मोटिवेशन के द्वारा आपको सही रहा दिखाई जाती है। तो यह हो सकता है कि आपका बच्चा पढ़ाई में ध्यान देने लगे। यदि आपका बच्चा मोटिवेट हो जाता हैं। तो वह रोजाना अपने आप ही पढ़ाई करने के लिए समय निकलेगा और मेहनत से पढ़ाई करेगा।
2. नकारात्मक सोच :
बहुत सारे बच्चे नकारात्मक सोच की तरफ ज्यादा ध्यान देने लगते हैं। जब भी वह परीक्षा में प्रदर्शन करने जाते हैं तो उनके मन में यही डर बना रहता है कि यदि वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए तो क्या होगा। जिसके कारण वह जितना अच्छा कर पाते हैं उतना भी नहीं कर पाते। बच्चों को हमेशा पॉजिटिव रहने की आवश्यकता होती है। परीक्षा आने तक बच्चों को अपनी पूरी पढ़ाई कंप्लीट कर लेनी चाहिए। तभी वह अपने एग्जाम में अच्छा प्रदर्शन कर पाएगा बच्चों को हमेशा पॉजिटिव सोचना चाहिए तभी उसका मन पढ़ाई में लगता है।
3. एकाग्रता :
पढ़ाई करते समय एकाग्रता की विशेष आवश्यकता होती है हमें बिल्कुल ध्यान लगाकर पढ़ना चाहिए। यदि आप ध्यान लगाकर किसी भी टॉपिक को पढ़ते हैं तो आपको वह बहुत आसानी से याद हो जाता है और जल्दी याद हो जाता है।
पढ़ाई करने के लिए हमें बिल्कुल शांत स्थान का चयन करना चाहिए। हमें कहीं कभी भी ऐसे स्थान पर नहीं बैठना चाहिए। जहां पर टीवी ऑन हो या मोबाइल चालू हो या लोगों के बीच बातचीत हो रही हो। हमें बिल्कुल शांत स्थान को चुनना चाहिए हो सके तो हमें अपना मोबाइल अपने से दूर रखना चाहिए।
जिसे हम पढ़ाई में अच्छी तरीके से मन लगा पाए। पढ़ाई करते समय हमें मोबाइल का इस्तेमाल सिर्फ पढ़ने वाले टॉपिक को समझने के लिए ही करना चाहिए। यदि आप ऐसे पढ़ाई कर रहे हैं तो आपको आपका पाठ आसानी से और जल्दी याद होता है।
पढ़ाई में मन लगाने के तरीके
यदि आपका पढ़ाई में मन(Padhai me man lagane ke tarike) नहीं लगता और पढ़ाई करते समय बोर महसूस करते हैं तो आप पढ़ाई करने के किन-किन तरीकों के माध्यम से अपना मन पढ़ाई में लगा सकते हैं। उसके विषय में नीचे बताया गया है।
1. अनुभव :
पढ़ाई करते समय अनुभवी लोगों को ज्यादा ज्ञान होता है कि वह किस प्रकार से पढ़ाई करें तो अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं। अनुभव भी लोगों को अपनी छोटी-छोटी गलतियों से सीखने का ज्ञान होता है। वह कहां पर गलती कर रहे हैं और किन जगहों पर उन्हें ज्यादा ध्यान देना है उसके विषय में उन्हें ज्ञान होता है।
जिस किताब से आप पढ़ाई कर रहे हैं उसे किताब में चित्रों के माध्यम से पढ़ाई करनी चाहिए। जिससे आपको आपका पढ़ा हुआ टॉपिक ज्यादा देर तक याद होता है। यदि आपको कोई भी टॉपिक समझ नहीं आ रहा तो आप अपनी कक्षा के किसी अच्छे बच्चे से प्रेरणा ले सकते हैं।
उससे बातचीत करके उसके पढ़ाई के तरीकों के विषय में जान सकते हैं। उसे बच्चों के विषय में जानना चाहिए और आपको अपने मन में भी यह दृढ़ इच्छा करनी चाहिए। की आपको भी इस बच्चे की तरह अच्छे अंक प्राप्त करने हैं और अच्छे तरीके अपनाकर पढ़ाई करनी है।
2. पढ़ने का तरीका :
बच्चों के पढ़ने का तरीका हर जगह बड़ा होता हैं। बच्चों को हमेशा कुर्सी पर बैठकर पढ़ना चाहिए और मेज पर अपनी कॉपी किताबों पर रखना चाहिए। इससे बच्चे कंफर्टेबल ज्यादा नहीं होते और उन्हें आराम महसूस नहीं होता जिससे उन्हें कम नींद आती है और वह ध्यान लगाकर पढ़ाई कर पाते हैं।
यदि आप लेट कर या अपने बिस्तर में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। तो थोड़े ही देर में आपको नींद आनी शुरू हो जाती है। और आपका समय बर्बाद होने लगता हैं। इसलिए कभी भी हमें अपने बिस्तर में बैठकर पढ़ाई नहीं करनी चाहिए।
जिस भी टॉपिक को हम पढ़ रहे हैं उसे टॉपिक को हमें भली-भांति ध्यान लगाकर पढ़ना चाहिए। टॉपिक में से कोई भी चीज हमें मिस नहीं करनी चाहिए। जिससे हमारे एग्जाम में कुछ भी छूटने के चांसेस रहे टॉपिक समाप्त हो जाने के बाद हमें उसका रिवीजन करना चाहिए। जो जो चीज हमें उसे टॉपिक में नहीं आ रही है उसे हमें याद करना चाहिए और यह प्रक्रिया हमें दोहराते रहनी चाहिए। क्योंकि रिवीजन बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट पार्ट है।
3. समय सारणी :
समय सारणी बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह बच्चों के लिए एक मन मेकअप देती है कि बच्चों को किस विषय को कितनी देर तक पढ़ना हैं। बच्चों को हर विषय को कम से कम 45 मिनट का समय देना चाहिए। बच्चों को अपनी समय सारणी प्रैक्टिकल बनानी चाहिए। जिससे वह फॉलो कर पाए हर 45 मिनट के बाद बच्चे को 5 से 10 मिनट का गैप देना चाहिए। बच्चों को उसे समय पढ़ाई करने के लिए बैठना चाहिए। जिससे मैं उसका पढ़ने में मन लगता है चाहे वह दिन हो या रात किसी भी समय मैं पढ़ाई करने के लिए बैठ सकता है। उसी के हिसाब से बच्चे को अपना टाइम टेबल तैयार करना चाहिए पढ़ाई को बोझ के तौर पर न देखकर अपने रेगुलर काम के तौर पर देखना चाहिए।
4. अनुशासन :
पढ़ाई करने के लिए अनुशासन बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता हैं। कुछ बच्चे अनुशासन ना रख पाने के कारण अपनी पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं या उनके पढ़ाई में मन नहीं लगता। यदि आप एक दिन बहुत देर तक पढ़ाई कर लेंगे और एक दिन आप बिल्कुल पढ़ाई नहीं करेंगे तो इससे कोई भी फायदा नहीं होगा।
इसलिए पढ़ाई करने के दौरान अनुशासन में रहना बहुत ज्यादा जरूरी है। आपको कितने समय पढ़ना है उसकी आपको एक आदत बना लेनी चाहिए। रोजाना एक रेगुलर काम की तरह हमें अपनी पढ़ाई भी पूरी करनी चाहिए। इसके लिए किसी के भी कहने की जरूरत है और ना पढ़ाई करते समय हमने अपने मन में बोझ हो कि इतने समय हमें पढ़ाई करनी है। रोज हमें थोड़ा-थोड़ा पढ़ना चाहिए और उसका रिवीजन करना चाहिए। तभी हम अपने एग्जाम में अच्छे अंक प्राप्त कर पाएंगे।
5. रेस्ट करने का समय निर्धारण :
पढ़ाई करने के साथ-साथ रेस्ट करना भी बहुत ज्यादा इंपोर्टेंट होता है इसलिए रेस्ट करने का समय निर्धारित कर लेना चाहिए। यदि अपने 1 घंटे तक पढ़ाई कर ली है तो आपको 5 से 10 मिनट का गैप भी ले लेना चाहिए। जिसे आप बोर महसूस नहीं करते और बार-बार अपने मन को रिचार्ज या फ्रेश कर लेते हैं जिससे आपका मन पढ़ाई में अच्छी तरीके से लगता है। रेस्ट करने का दूसरा मतलब है कि यह आपको दोबारा ऊर्जावान भी बना देता है और आपके स्वास्थ्य के लिए भी यह बहुत इंपॉर्टेंट है। यदि आप स्वस्थ रहेंगे तभी आप अच्छी पढ़ाई कर पाएंगे इसलिए रेस्ट करने का पर्याप्त समय निकालना चाहिए।
6. पढ़ाई में स्वयं का आकलन :
पढ़ाई करते समय हमें अपने स्वयं का आकलन करना बहुत ज्यादा आवश्यक होता हैं। यदि हम समय-समय पर स्वयं का आकलन करते रहते हैं। तो हमें इस बात का ज्ञान होता रहता है कि हमें कौन सा विषय कितना काम आता है या हम किस विषय में क्या-क्या चीजों को छोड़ रहे हैं। यदि हम किसी भी टॉपिक का आकलन कर रहे हैं।
और उसमें अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं तो आपको यह ज्ञान हो जाएगा कि किन-किन क्षेत्रों में आपको अभी और मेहनत करनी हैं। यह क्या-क्या चीजों को आपको और पढ़ना हैं। इसलिए पढ़ाई में स्वयं का आकलन करना बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। यदि आप सिर्फ पढ़ाई करते रहेंगे तो आपके मन में यही भ्रम होगा कि आपको अपने टॉपिक में सब कुछ आता है और आपको सब चीज का ज्ञान है। परंतु जवाब आकलन करने बैठते हैं। तो आपको एक प्रमाण मिल जाता है कि आपको आपके टॉपिक के विषय में एक अच्छी जानकारी हैं। इससे आपके मन में आत्मविश्वास जगाता हैं। और आप आगे पढ़ाई करने के लिए भी मोटिवेट होते हैं।
टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)
Q. बच्चों का पढ़ाई में मन क्यों नहीं लगता?
कुछ बच्चे एक ही सब्जेक्ट को पढ़ते रहते हैं या उनके मन में एकाग्रता की कमी होती हैं। जिसके कारण उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता।
Q. समय सारणी कितनी महत्वपूर्ण होती है?
समय सारणी के माध्यम से बच्चे यह ज्ञान प्राप्त कर पाते हैं। कि किन चीजों को उन्हें कितना समय देकर पढ़ना है।
Q. पढ़ाई में मन लगाने के लिए क्या चीज महत्वपूर्ण है?
पढ़ाई करने के लिए बच्चों को अनुशासन समय सारणी पढ़ने का तरीका और अनुभव यह सारी चीज बहुत महत्वपूर्ण है।
Q. पढ़ाई में रेस्ट करना कितना महत्वपूर्ण है?
पढ़ाई करते समय रेस्ट करना बहुत ज्यादा जरूरी है रेस्ट करने से हमारे दिमाग फ्रेश होता हैं। और हम स्वस्थ रहते हैं।
निष्कर्ष :
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको जब पढ़ाई में मन ना लगे तो क्या करें (Padhai me man lagane ke tarike) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।