सेटेलाइट क्या होता है? और यह कैसे काम करता है?

सेटेलाइट के बारे में तो प्रत्येक व्यक्ति को पता होगा। परंतु इसकी महत्वता के बारे में जानकारी लोगों को कम होती है। सेटेलाइट हमारे मानव जीवन के लिए बहुत ज्यादा आवश्यक है। हमारे द्वारा टीवी पर देखे जाने वाले चित्र की सहायता से आसानी से देखे जाते हैं। मनोरंजन की दुनिया में सेटेलाइट हम सभी की बहुत मदद करती हैं। परंतु बहुत से लोगों को सेटेलाइट की जानकारी नहीं होती है। इसीलिए हमारे द्वारा आज इस लेख के अंतर्गत आप सभी को Satellite Kya Hota Hai? इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी जाएगी। ताकि आप सभी सेटेलाइट की संपूर्ण जानकारी को प्राप्त कर सके। यह लेख आपके ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। सेटेलाइट की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

विज्ञान के क्षेत्र में बहुत से लोगों को बहुत ज्यादा दिलचस्पी होती है। यदि आप भी विज्ञान के क्षेत्र में दिलचस्पी रखते हैं। तो आप अवश्य ही इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहते होंगे। आपको अपने भविष्य हेतु नई नई जानकारियां पता होनी चाहिए। सेटेलाइट इंसानों के द्वारा बनाई गई है। तथा इसका इस्तेमाल हमारी रोज की जिंदगी में बहुत हो रहा है। आज के समय हम बहुत ही आसानी से टीवी देख सकते हैं। साथ ही साथ किसी भी व्यक्ति की जीपीएस लोकेशन को भी चेक कर सकते हैं। तथा एक अच्छी स्पीड के साथ इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। यह सभी कार्य सेटेलाइट की मदद से ही होते हैं। इसीलिए हम आज आपको इस लेख में What is a Satellite? How does the satellite work? के बारे में बताया है।

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सेटेलाइट क्या होता है? (What is the Satellite?)

जिन लोगों को नहीं पता कि सेटेलाइट क्या होती है? हमारे द्वारा यहां आप सभी लोगों को What is the Satellite? इसके बारे में बताया जा रहा है। सेटेलाइट अंग्रेजी शब्द है इसे हिंदी में उपग्रह कहा जाता है। यह एक छोटा सा ऑब्जेक्ट है। जो हमारे पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। यदि आप बहुत सरल शब्दों में समझना चाहते हैं। तो चंद्रमा जो हमारे पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। वह भी एक सेटेलाइट है। परंतु इसे एक प्राकृतिक सेटेलाइट कहा जाता है। यही कारण है कि यह इंसानों के हिसाब से नहीं चलता है। आज के समय में विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, कि प्राकृतिक सेटेलाइट की सहायता से उसके द्वारा मानवीकृत सेटेलाइट बना ली गई है।

सेटेलाइट क्या होता है और यह कैसे काम करता है

एक छोटा सा ऑब्जेक्ट है, जो अंतरिक्ष के अंतर्गत अपने से बहुत बड़े बड़े ऑब्जेक्ट के चारों तरफ चक्कर लगाता है। उसे ही सेटेलाइट के नाम से जाना जाता है। इस सेटेलाइट के दोनों तरफ सोलर पैनल लगे होते हैं। इन सोलर पैनल की सहायता से इसे ऊर्जा मिलती है  इन्हीं सोलर पैनल के बीच में मानव द्वारा ट्रांसमीटर और रिसीवर को लगाया जाता है। जिसके माध्यम से सिग्नल भेजें व रिसीव किए जाते हैं। इस सेटेलाइट को कंट्रोल करने के लिए इसमें कुछ कंट्रोल मोटर का भी इस्तेमाल किया जाता है। सेटेलाइट को विभिन्न प्रकार के कार्य जैसे:- पृथ्वी की इमेज प्राप्त करने हेतु, स्कैनिंग करने हेतु आदि के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

सैटेलाइट का मतलब क्या होता है? (What is the meaning of Satellite?)

आइए जानते हैं कि सेटेलाइट का मतलब आखिर क्या होता है? सेटेलाइट को हिंदी में उपग्रह के नाम से जाना जाता है। इस बात की जानकारी हमने आपको ऊपर भी दी थी। सेटेलाइट दो तरह के होते हैं। प्राकृतिक सेटेलाइट और मानव द्वारा निर्मित सेटेलाइट। प्राकृतिक सेटेलाइट के तौर पर आप चंद्रमा को देख सकते हैं। जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। यह पृथ्वी का एक उपग्रह है, वहीं दूसरी ओर मानव निर्मित सैटेलाइट को मानव द्वारा निर्मित किया जाता है। जिसे साइंटिस्ट द्वारा पृथ्वी के ऑर्बिट में स्थापित किया जाता है।

 इसी सेटेलाइट के द्वारा विभिन्न प्रकार की जानकारी साइंटिस्ट को प्राप्त होती है। यदि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी यानी इसरो की बात की जाए, तो यह प्रतिदिन आगे बढ़ रही है तथा कामयाबी को छू रही है। हम सभी भारतीयों के लिए इतनी सफलता को छूना बहुत गर्व की बात है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के द्वारा कम से कम एक सौ सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजी जा चुकी है। इसके द्वारा अंतरिक्ष में घटित हो रही घटनाओं के बारे में हम सभी को जानकारी प्राप्त होती है। आज के समय में सेटेलाइट के माध्यम से दुनिया में बहुत से कार्य हो रहे हैं।

सेटेलाइट की जरूरत क्यों पड़ती है? (Why is a satellite needed?)

कुछ लोगों के मन में यह सवाल अवशय आया होगा कि आखिर सेटेलाइट बनाने की जरूरत क्यों पड़ी? सेटेलाइट किस काम आती है? तो हम आपको यहां Why is a Satellite needed? के बारे में बता रहे हैं। सेटेलाइट की मदद से व्यक्ति बहुत से कार्य करने में सक्षम हो सकता है। इस सेटेलाइट को साइंटिस्ट के द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाता है। जिसके कारण इसके द्वारा पूरी दुनिया को सिग्नल मिलता है। आप दुनिया के किसी भी स्थान पर हो सेटेलाइट के द्वारा आपको सिग्नल पहुंचाया जाता है। आज के समय में इस सेटेलाइट की बहुत आवश्यकता है। इसीलिए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के द्वारा एक सौ सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेज दी गई है।

आजकल सभी के पास मोबाइल फोन होते हैं। जिनमें सिम कार्ड पड़ा होता है। यह सिम कार्ड टावर की सहायता से नेटवर्क प्राप्त करता है। परंतु यदि आप ऐसे क्षेत्र में चले जाएं, जहां टावर उपस्थित नहीं होता है। तो आपके सिम कार्ड के नेटवर्क गायब हो जाते हैं। इसीलिए आज के समय में लोग सेटेलाइट में कन्वर्ट हो रहे हैं। ताकि वह किसी भी स्थान पर नेटवर्क प्राप्त कर सकें। आजकल बाहर देश के लोग सेटेलाइट कि नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिसकी स्पीड 15 एमबी पर सेकंड की है। यही कारण है कि सेटेलाइट आज के समय में बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है। इसकी सहायता से आप बहुत अच्छी इंटरनेट स्पीड प्राप्त कर सकते हैं।

सैटेलाइट हवा में कैसे टिका रहता है? (How does the satellite stay in the air?)

जैसे ही हमने आपको यह जानकारी दी कि सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजा जाता है। बहुत से लोग यह सोच रहे होंगे, कि सेटेलाइट हवा में कैसे टिका रहता है? तो हम आपको यहां बताते हैं कि How does the satellite stay in the air? सेटेलाइट नीचे इसलिए नहीं गिरता हैं क्योंकि इन पर एक प्रकार का नियम लगता है। वह नियम यह है कि यदि कोई ऑब्जेक्ट अपनी सामान्य गति से किसी बड़े ऑब्जेक्ट का अंतरिक्ष में चक्कर लगाता है। तो उस पर गुरुत्वाकर्षण बल हावी नहीं होता है। यही नियम सेटेलाइट के द्वारा फॉलो किया जाता है। इस नियम को अपनाकर सेटेलाइट हवा में आसानी से टिके रहते हैं।

सैटेलाइट कैसे काम करता है? (How does a satellite work?)

यदि आप लोगों ने सेटेलाइट की जानकारी प्राप्त कर ली है। और आप यह जानना चाहते हैं कि सैटेलाइट कैसे काम करता ह? तो यहां हमारे द्वारा आपको How does a Satellite works? के बारे में नीचे पॉइंट के माध्यम से बताया गया है। जो कि निम्न प्रकार है-

  • सेटेलाइट दुनियाभर में नेटवर्क और सिग्नल प्रदान करने में का कार्य करते हैं।
  • सेटेलाइट में आपको कुछ कंट्रोल मोटर्स देखने को मिलती है। इन कंट्रोल मोटर्स के माध्यम से मानव द्वारा इन सैटेलाइट को कंट्रोल किया जाता है। तथा मानव जीवन के लिए सही ढंग से निर्धारित किया जाता है।
  • सेटेलाइट में आपको सोलर पैनल देखने को मिलते हैं। सूर्य की रोशनी में चार्ज होने पर यह सोलर पैनल सेटेलाइट को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  • सेटेलाइट में आपको रिसीवर तथा ट्रांसमीटर देखने को मिलता है। इन्हीं की सहायता से पृथ्वी के विभिन्न कोने तक सेटेलाइट के द्वारा सिग्नल पहुंचाए जाते हैं।
  • सेटेलाइट के माध्यम से पृथ्वी की इमेज आसानी से ली जा सकती है क्योंकि सेटेलाइट के अंतर्गत साइंटिस्ट द्वारा कैमरे भी लगाए गए होते हैं।
  • स्केनर का इस्तेमाल भी सेटेलाइट में होता है, इसीलिए इसके द्वारा स्कैनिंग भी की जाती है।
  • सेटेलाइट के द्वारा सर्वाधिक कम्युनिकेशन से जुड़े कार्यों को किया जाता है। इसी कारण हर टेलीकॉम कंपनी एक दूसरे से कंपटीशन कर रही है। ताकि वह अपने सिम कार्ड का नेटवर्क मजबूत कर सके और अपने उपभोक्ता बढ़ा सके।
  • ऊपर दिए गए संपूर्ण कार्य केवल एक सेटेलाइट के माध्यम से ही होते हैं।

सेटेलाइट को कितनी कैटेगरी में बांटा गया है? (Satellite is divided into many categories?)

सेटेलाइट के कार्यों की जानकारी आप सभी को ऊपर दे दी गई है। अब आपको समझ आ गया होगा, कि सेटेलाइट का उपयोग मानव जीवन के लिए कितना जरूरी है। आइए जानते हैं कि सेटेलाइट को कितने भागों में बांटा गया है। यदि आपको इसकी जानकारी नहीं है। तो यहां हमने Satellite is divided into many categories? के बारे में बताया है। सेटेलाइट को मुख्यतः तीन कैटेगरी में डिवाइड किया गया है। जो कि निम्न प्रकार है-

  • लो अर्थ आर्बिट सेटेलाइट (Low earth orbit satellite)
  • मीडियम अर्थ ऑर्बिट सेटेलाइट (medium earth orbit satellite)
  • हाई अर्थ ऑर्बिट सेटेलाइट (High earth orbit Satellite)

#1. लो अर्थ आर्बिट सेटेलाइट (Low earth orbit satellite)

इस सेटेलाइट की जानकारी आपको इसके नाम के द्वारा ही प्राप्त हो सकती है। लो अर्थ आर्बिट सेटेलाइट का मतलब यह होता है, कि यह सेटेलाइट पृथ्वी के बहुत पास होती है। इस सेटेलाइट की ऊंचाई कम से कम 160 से लेकर 1600 किलोमीटर तक होती है। लो अर्थ आर्बिट सेटेलाइट के द्वारा पृथ्वी के चारों ओर बहुत तेजी से चक्कर लगाए जाते हैं। यही कारण है कि यह 1 दिन में पृथ्वी के बहुत सारे चक्कर आसानी से पूरे कर सकते हैं। इसीलिए यह बहुत ही कम समय में धरती को स्कैन करने में सक्षम होते हैं। इसी कारण लो अर्थ सेटेलाइट का ज्यादा उपयोग पृथ्वी की इमेज और उसकी स्कैनिंग करने के लिए किया जाने लगा है।

#2. मीडियम अर्थ आर्बिट सेटेलाइट (Medium earth orbit satellite)

मीडियम अर्थ आर्बिट सेटेलाइट को लो अर्थ आर्बिट सेटेलाइट की स्थिति से थोड़ा और ऊपर स्थापित किया जाता है। इसीलिए इनको मीडियम अर्थ आर्बिट सैटेलाइट के नाम से जाना जाता है क्योंकि इनका स्थान पृथ्वी के मध्यम ऑर्बिट होता हैं। इस सेटेलाइट के द्वारा भी पृथ्वी के काफी तेजी के साथ चक्कर लगाए जाते हैं ।12 घंटे के अंतर्गत इनके द्वारा पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लिया जाता है। यह किसी भी स्थान से अपने निश्चित और निर्धारित समय पर ही गुजरते हैं। पृथ्वी से इनकी ऊंचाई लगभग 10000 किलोमीटर से लेकर 20000 किलोमीटर तक होती है।  मीडियम अर्थ आर्बिट सैटेलाइट का अधिकतम उपयोग नेविगेशन परपस के लिए किया जाता है।

#3. हाई अर्थ आर्बिट सेटेलाइट (High earth orbit satellite)

हाई अर्थ ऑर्बिट सेटेलाइट, लो अर्थ आर्बिट सेटेलाइट और मीडियम अर्थ आर्बिट सेटेलाइट से भी ऊपर होते हैं अर्थात हम कह सकते हैं, कि यह सेटेलाइट पृथ्वी से बहुत दूरी पर स्थित होते हैं। इसकी दूरी लगभग 36000 किलोमीटर तक की होती है। यह भी बहुत तेजी के साथ पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं। साथ ही साथ पृथ्वी के सबसे दूर वाले ऑर्बिट में स्थापित किए जाते हैं। हाई अर्थ आर्बिट सेटेलाइट का इस्तेमाल कम्युनिकेशन, इंटरनेट स्पीड और नेटवर्क के लिए ज्यादातर किया जाता है। सेटेलाइट के द्वारा किए जाने वाले सभी कार्य मानव जीवन के अच्छे होते हैं। हाई अर्थ आर्बिट सेटेलाइट मानव जीवन की रोजमर्रा की जिंदगी में कार्य करता है।

सेटेलाइट क्या होता है? इससे संबंधित प्रश्न व उत्तर (FAQs)

Q:-1. सेटेलाइट क्या होता है?

Ans:-1. सेटेलाइट एक प्रकार का उपग्रह होता है।जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। आजकल के आधुनिक युग में सेटेलाइट की बहुत आवश्यकता होने लगी है। प्राकृतिक सेटेलाइट के तौर पर आप चंद्रमा को उदाहरण के लिए समझ सकते हैं। इसी प्रकार मानव निर्मित उपग्रह बनाए जाते हैं। जिसे सेटेलाइट कहते हैं।

Q:-2. सैटेलाइट कैसे बनता है?

Ans:-2. सैटेलाइट को साइंटिस्ट द्वारा बनाया जाता है। इसके अंतर्गत दोनों ओर सोलर पैनल का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे सैटेलाइट को ऊर्जा प्राप्त होती रहती है। इसमें कैमरा और स्कैनर का भी उपयोग किया जाता है। साथ ही साथ इसमें रिसीवर और ट्रांसमीटर भी लगे होते हैं।

Q:-3. सेटेलाइट हवा में कैसे टिका रहता है?

Ans:-3. सेटेलाइट हवा में इसलिए टिका रहता है क्योंकि इस पर एक नियम कार्य करता है। यदि कोई छोटा ऑब्जेक्ट बड़े ऑब्जेक्ट के चारो तरफ सामान्य गति से चक्कर लगाता है। तो उस पर गुरुत्वाकर्षण बल काम नहीं करता है इसलिए यह सेटेलाइट जमीन पर नहीं रहते हैं और हवा में टिके रहते हैं।

Q:-4. सेटेलाइट के द्वारा किस प्रकार के कार्य किए जाते हैं?

And:-4. सेटेलाइट के द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्य जैसे:- पृथ्वी की इमेज प्राप्त करना, पृथ्वी की स्कैनिंग करना, नेटवर्क, इंटरनेट स्पीड, कम्युनिकेशन आदि विभिन्न प्रकार के कार्य किए जाते हैं। साथ ही साथ सेटेलाइट के द्वारा पृथ्वी के विभिन्न कोने में नेटवर्क भेजे जाते हैं।

Q:-5. सैटेलाइट को कितनी कैटेगरी में डिवाइड किया गया है?

Ans:-5. सेटेलाइट को मुख्यतः तीन कैटेगरी में डिवाइड किया गया है। लो अर्थ आर्बिट सेटेलाइट, मीडियम अर्थ आर्बिट सेटेलाइट तथा हाई अर्थ आर्बिट सेटेलाइट यह नाम उनकी स्थिति के अनुसार रखे गए हैं।

Q:-6. सेटेलाइट कहां स्थापित किए जाते हैं?

Ans:-6. सेटेलाइट को पृथ्वी के ऑर्बिट में साइंटिस्ट द्वारा स्थापित किया जाता है।

Q:-7. सेटेलाइट की जरूरत क्यों पड़ती है?

Ans:-7. सेटेलाइट की जरूरत मानव जीवन में विभिन्न प्रकार के कार्य के लिए पड़ती है। यदि आप इसकी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। तो हमारे द्वारा इसके बारे में उपर लेख में बताया गया है।

निष्कर्ष (Conclusion):- आज हमारे द्वारा आप सभी को इस लेख के अंतर्गत Satellite kya hoti hai? Satellite kaise kaam karti hai? Satellite ki jarurat kyu hoti hai? इसके बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक दी गई है। यदि आपको भी साइंस से संबंधित नई नई चीजों की जानकारी प्राप्त करना पसंद है। तो आप हमारे इस लेख की सहायता से यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सेटेलाइट की जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को इसलिए होनी चाहिए क्योंकि इसका इस्तेमाल दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दिया गया यह लेख अवश्य पसंद आया होगा। यदि आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई हो तो हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताइए। साथ ही साथ हमारे इस लेख को अपने जरूरतमंद दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ शेयर करना ना भूले।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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